
शेर सिंह राणा की हैरत अंगेज़ कहानी जो जुडी है पृथ्वीराज चौहान से
ये कहानी है भारत के एक राजपूत के अदम्य साहस की जिसे डकैत से बानी सांसद फूलन देवी का हत्यारा माना गाय और आजीवन कारावास दिया गया और भेज दिया गया भारत के सबसे सुरक्क्षित जेल में | लेकिन ये राजपूत जेल में सजा काटने के लिए नहीं बना था उसे कुछ करना था अपने देश के लिए तो जेल की चरदीवारें भी नहीं रोक पायीं , और के दिन वह बड़े आसानी से जेल से फरहार हो गया और निकल पड़ा अपने एक खतरनाक मिशन पे |
और पहोच जाता है एक खतरनाक देस में और वह पे खतरों से खेलते हुये पूरा करता है अपना मक्सद और फिर लौट आता है अपने देश उसी जेल में दुबारा से।
ये कहानी है शेर सिंह राणा की।
शेर सिंह राणा का जन्म 17 मई 1976 को उत्तराखंड के रुड़की में हुआ था।इनका बचपन का नाम समशेर सिंह राणा उर्फ़ पंकज सिंह भी था ।शेर सिंह राणा की कहानी सुन के आप लो लगेगा आप कोई एतिहासिक फिल्म देख रहे हो।
शेर सिंह राणा के बारे में बताने को तो बहोत कुछ है लेकिन सबसे पहले बात करते है शेर सिंह राणा के उस सफर का जो उन्होंने सन 2000 से सन 2006 के बीच में तै किया। इसके बारे में बात करने से पहले हम आप को थोड़ा पीछे ले चलते है।
सन 2000 से सन 2006 के बीच की ये कहानी जुडी है उत्तर प्रदेश के चंम्बल के एक खतरनाक डकैत से जिसे आसपास के गाँव उसके नाम पे ही कांपने लगते थे।
फूलन देवी जो 1980 के दसक की सबसे खतरनाक डकैत मानी जाती थी।
आज़ भी फूलन देवी का नाम सुन के चम्बल के लोग सिहर जाते है।
कहते है फूलन देवी खतनाक डकैत जरूर थीं लेकिन उसे आस पास के ठाकुरो का दर हमेसा सताता था तभी उसने एक साथ 22 जमींदार ठाकुरो की हत्या कर दी। फूलन देवी एक कुख्यात डकैत थी इस लिए उसे पुलिस का भी खतरा बना रहता था यही सोच के की एक दिन पुलिस उसे पकड़ ही लेगी और इनकाउंटर कर देगी तो उसने आत्मसमर्पण का सोच लिया।
लेकिन आत्मसमर्पण का रास्ता भी फूलन देवी के लिए आसान नहीं था उसको उसी बात का दर था पुलिस कही उसे गोली न मार दे।
यही सोच के फूलन देवी ने मध्य प्रदेश की सरकार से सौदेबाजी की एक सर्त राखी और ओ सर्त ये थी की किसी समारोह में आत्मसमर्पण करेगी जहा बहोत सरे लोग हो। जब मध्य प्रदेश की सरकार ये सर्त मान गयी तो मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने हथियार दाल दी.
उसके बाद फूलन देवी को जेल भेज दिया गया और सन 1994 में फूलन देवी को जेल से रिहा कर दिया गया।
जेल से निकल कर फूलन देवी ने राजनीती में उतरने का निर्णय लिया और समाजवादी पार्टी को संपर्क किया समाजवादी पार्टी फूलन देवी को टिकट दे दिया और फूलन देवी ने लोक सभा का चुनाव लड़ा और जीत गयी इस तरह से फूलन देवी एक संसद बन गयी।
चम्बल के बीहड़ो से निकली फूलन देवी की 25 जुलाई 2001 को दिल्ली स्थित सरकारी आवास में फूलन देवी की हत्या कर दी गई और इस हत्या के लिए शेर सिंह राणा को दोसी माना गया।
अदालत ने शेर सिंह राणा को तिहाड़ जेल भेज दिया हाला की शेर सिंह राणा का कहना है की फूलन देवी के हत्या में उनका कोई हाथ नहीं था इस लिए शेर सिंह राणा ने अपने सजा को हाई कोर्ट में चैलेंज भी किया है।
समय ने करवट ली फूलन देवी के हत्या के ३ साल बाद 17/02/2004 को तिहाड़ जेल में उत्तराखण्ड पुलिस की वर्दी में ३ लोग आये और उन्होंने कहा की उन्हें शेर सिंह राणा को एक केश के सिलसिले में हरिद्वार के कोर्ट में उपस्थित करना है और उनके पास सरे कागजात भी थे कोर्ट के आर्डर के कागजात भी थे।
तिहाड़ जेल में सरे पेपर को जांचने के बाद जब सब ठीक लगा लो शेर सिंह राणा को उसके साथ जाने की अनुमति मील गयी और फिर ओ तीनो शेर सिंह राणा को तिहाड़ जेल से ले गए।
दरसल ओ जो पुलिस के वर्दी में आये थे ओ पुलिस वाले थे ही नहीं ओ तो थे शेर सिंह राणा के खास दोस्त थे जो शेर सिंह राणा जो जेल से बहार ले जाने आये थे।
लेकिन ये बात कब तक छुप सकती जब पता चला तो देस में हड़कंप मच गया tv न्यूज़ सब पे एक ही खबर थी कैसे कोई तिहाड़ जेल से बहार जा सकता है।
जितना हम सोच रहे उतना आसान था नहीं शेर सिंह राणा का जेल से फरहार होना ओ थी उनकी ३ साल की प्लांनिग जो राणा ने जेल में रहते हुए बनायीं थी।
अब आगे बढाती है शेर सिंह राणा की कहानी।
जेल से बहार आके जो हुआ शेर सिंह राणा के साथ उसे आपको ध्यान से पढ़ना होगा और ये आप को हैरत में दाल देगी।
भारत एक योद्धाओ की धरती है इस धरती पे बहोत से योद्धाओ और महा योद्धाओ का जन्म हुआ है।
पृथ्वीराज चौहान एक ऐसे ही महा योद्धा थे और पृथ्वीराज चौहान ही थे भारत के अंतिम हुन्दू सम्राट, पृथ्वीराज चौहान की समाधी अफगानिस्तान में थी जो मोहमद गोरी के मकबरे के पास थी।
रिपोर्टो के बुताबिक अफगानिस्तान में ये परम पारा थी की जो लोग मोहमद जोरी के मकबरे को देखने जाते है उसके पहले पृथ्वीराज चौहान के समाघि का अपमान करना होता है। यही वजह थी की शेर सिंह राणा ने बचपन से ही सोच रखा था की ओ अफगानिस्तान से पृथ्वीराज चौहान की अस्थियाँ बड़े सम्मान के साथ ले आएंगे। और शेर सिंह राणा ने ऐसा कर दिखाया।
तिहाल जेल से बाहर आने के बाद शेर सिंह राणा पहुंचे उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद सहर में शेर सिंह राणा ने अपनी मुछे भी निकल दी ताकि पुलिस पहचान न सके।
उसके बाद गोरखपुर से बरेली होते हुए शेर सिंह राणा पहुंचे राँची जहा से शेर सिंह राणा ने जाली पासपोर्ट बनवाया उसके बाद पहेच गए कोलकाता जहा से शेर सिंह राणा ने बांग्ला देश का वीजा बनवाया इसके बाद राणा ने कदम रखा बांग्ला देस में।
बांग्ला देस में फर्जी दस्ताबेजों की मदत से राणा ने University एडमिशन लिया और उसी दौरान अफगानिस्तान का भी वीजा बनवा लिया दुबई से कराची होते हुए शेर सिंह राणा पहुंच गये अफगानिस्तान।
अफगानिस्तान पहोच के शेर सिंह राणा काबुल और गांधार होते हुए गजनी पहुंचे जहा मुहमद जोरि और पृथ्वीराज चौहान की समाधिंया बानी थी, तालिवानों के उस इलाके में जहा कदम कदम पे खतरा था शेर सिंह राणा बिना डरे पृथ्वीराज चौहान की समाधिंया से अस्थियाँ निकलने की पूरी प्लांनिग वही की।
फिर आया ओ दिन जिसका शेर सिंह राणा को बरसो से इंतजार था और पुरे प्लान के साथ किया पृथ्वीराज चौहान के समाधी की खुदाई और अस्थिया लेके भारत पहुंच गए।
अफगानिस्तान के खतरनाक मिशन को कैमरे में भी कैद किया राणा ने।
भारत आने के बाद अपनी माँ की मदत से शेर सिंह राणा ने ग़ाजियाबाद के बिरखोवा गाँव में पृथ्वीराज चौहान का एक मंदिर बनवाया और थ्वीराज चौहान अस्थियों के अवसेसो को रखा गया है।
17 मई 2006 को राणा ने फिर से कोलकाता के जेल चले गयाए और वासे फिर की तिहाड़ जेल की वापसी और जेल में ही रह के राणा ने एक किताब भी लिखा है जिसका नाम जेल डायरी है।
Comments / Answer